हम तुम दोनों मिल गए
प्यार की tuning हो गयी
हर morning तेरी हो गयी
हर evening तेरी हो गयी
लैला हो लैला तू है लैला
छैला मैं छैला मैं तेरा छैला
आ हा नज़र क्या तेरी है
आ हा कमर क्या तेरी है
आ हा अदा क्या तेरी है
आ हा उम्र क्या तेरी है
आ हा ये गाल टमाटर से
आ हा ये होंठ गाजर से
आ हा तू बोतल शरबत की
आ हा टू गोरी पनघट की
तेरे रूप की बिजली से
मेरे दिल में lighting हो गयी
आ हा तू गुडिया जापानी
आ हा तू परियों की रानी
आ हा तू चाँद पूनम का
आ हा तू कतरा शबनम का
आ हा छलकता जाम है तू
आ हा सुनहरी शाम है तू
आ हा तू model 96
आ हा तू गोरी गोरी miss
मेरे दिल के garden में
तेरे प्यार की कलियाँ खिल गयीं
हर morning तेरी हो गयी
हर evening तेरी हो गयी
1 comment:
Good one...We are really in the middle of another golden era in Hindi songwriting these days, so the contrast from the 90s is even more striking.
I think a primary reason for that is the shift in target audience for mainstream Hindi cinema -- the crowd for whom the bappida song was intended is now served by Bhojpuri cinema.
Hindi cinema is now firmly a creature of the city/town multipex + dollar-paying NRI audiences.
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